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Sad Shayari image apno ke Liye
मोहब्बत है या नशा था जो भी था कमाल का था
रूह तक उतारते उतारते जिस्म को खोखला कर गया
तुम मुझे जितनी इज़्ज़त दे सकते थे दे दी
अब तुम देखो मेरा सबर और मेरी ख़ामोशी
कहाँ मिलता है अब कोई समझने वाला
जोभी मिलता है समझा के चला जाता है
कहाँ मिलता है अब कोई समझने वाला
जोभी मिलता है समझा के चला जाता है
मुझे भी याद रखना जब लिखो तारीख वफ़ा की
मैंने भी लुटाया है मोहब्बत मैं सकूँ अपना
वक़्त से पहले हादसों से लड़ा हूँमै
अपनी उम्र से कई साल
खुदा ने किस्मत में साँसे लिखी
थीइंसानो ने रोक दी
हाँ याद आया इसके आखरी अलफ़ाज़
ये थेअगर जी सको तो जी लेना
अगर मर जाओ तो अच्छा है
हाँ याद आया इसके आखरी अलफ़ाज़ ये
थेअगर जी सको तो जी लेना अगहाँ याद
ज़ख़्म दे कर ना पूछ तू मेरे दर्द की शिद्दत
दर तो फिर दर्द है काम क्या ज्यादा क्या
बहुत थे मेरे भी इस दुनिया मेँ अपने
फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए
मेरी हर शायरी दिल के दर्द को करता बयां
तुम्हारी आँख न भर आये कही पढ़ते पढ़ते
VERY SAD SHAYARI IMAGE
कबूल ऐ करते हे तेरे कदमो मे गिरकर
सजाए मौत मनजूर है मगर अब मोहब्बत
चुप है किसी सबर से तो पत्थर ना समझ हमें
दिल पे असर हुआ है तेरी बात बात का
हमने कब कहा मोहब्बत नहीं मिली हुमको
मोहबात तो मिली मगर तुम से ना मिली हुमको
खामोशियाँ कर देते है बयां तो अलग बात है
कुछ दर्द है जो लफ़्ज़ों में उतरे नहीं जाते
बड़ी हसरत थी कोई हमे टूट कर चाहे
लेकिन हम ही टूट गए किसी को चाहते चाहते
अब तो आदत सी बन गयी है
तुम दर्द दो हम मुस्कुरायेंगे
मैं चाहा था की जखम भर जाये
ज़ख्म ही ज़ख्म भर गए मुझ मैं
हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है,
कभी सुबह कभी शाम याद आता है,
जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत,
फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।
वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल,
बहुत उदास करती हैं मुझको निशानियाँ तेरी।
मुझे ये डर है तेरी आरजू न मिट जाये,
बहुत दिनों से तबियत मेरी उदास नहीं।
चल मेरे हमनशीं अब कहीं और चल,
इस चमन में अब अपना गुजारा नहीं,
बात होती गुलों तक तो सह लेते हम,
अब काँटों पे भी हक हमारा नहीं।
तलाश उसकी करो जो किसी के पास न हो,
भुला दो उसे जिस पर विश्वास न हो,
हम तो अपने ग़मों पर भी हँस पड़ते हैं,
वो इसलिए कि सामने वाला उदास न हो।
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तलाश उसकी करो जो किसी के पास न हो,
भुला दो उसे जिस पर विश्वास न हो,
हम तो अपने ग़मों पर भी हँस पड़ते हैं,
वो इसलिए कि सामने वाला उदास न हो।
एक ये ख्वाहिश के कोई ज़ख्म न देखे दिल का,
एक ये हसरत कि कोई देखने वाला तो होता।
ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक,
न लो इंतकाम मुझसे मेरे साथ-साथ चल के।
सिर्फ चेहरे की उदासी से
भर आये तेरी आँखों में आँसू,
मेरे दिल का क्या आलम है
ये तो तू अभी जानता ही नहीं।
कोई आदत, कोई बात, या सिर्फ मेरी खामोशी,
कभी तो, कुछ तो, उसे भी याद आता होगा।
इक तेरे बगैर ही न गुजरेगी ये ज़िंदगी मेरी,
बता मैं क्या करूँ सारे ज़माने की ख़ुशी लेकर।
वो चाँदनी का बदन खुशबुओं का साया है,
बहुत अजीज़ हमें है मगर पराया है,
उसे किसी की मोहब्बत का ऐतबार नहीं,
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है।
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी,
चैन से जीने की सूरत नहीं हुई,
जिसको चाहा उसे अपना न सके,
जो मिला उससे मोहब्बत न हुई।
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी,
चैन से जीने की सूरत नहीं हुई,
जिसको चाहा उसे अपना न सके,
जो मिला उससे मोहब्बत न हुई।
जो शख्स मेरी हर कहानी हर किस्से में आया,
वो मेरा हिस्सा होकर भी मेरे हिस्से में नहीं आया।
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी,
चैन से जीने की सूरत नहीं हुई,
जिसको चाहा उसे अपना न सके,
जो मिला उससे मोहब्बत न हुई।
एक तुम ही मिल जाते बस इतना काफ़ी था,
सारी दुनिया के तलबगार नहीं थे हम।
HINDI SAD SHAYARI IMAGE
रोज ख्वाबों में जीते हैं वो ज़िन्दगी,
जो तेरे साथ हक़ीक़त में सोची थी कभी।
ठोकर न लगा मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख कोई मंज़र नहीं हूँ मैं,
उनकी नजर में मेरी कदर कुछ भी नहीं,
मगर उनसे पूछो जिन्हें हासिल नहीं हूँ मैं।
तुम्हारी तलाश में निकलूँ भी तो क्या फायदा..?
तुम बदल गए हो, खो गए होते तो और बात थी।
फलक के तारों से क्या दूर होगी जुल्मत-ए-शब,
जब अपने घर के चरागों से रोशनी न मिली।
सपनों से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के कि कोई मनाने नहीं आएगा,
अब हमको रूठ जाने की आदत नहीं रही।
ये तेरा खेल न बन जाए हक़ीकत एक दिन,
रेत पे लिख के मेरा नाम मिटाया न करो।
कल क्या खूब इश्क़ से इन्तकाम लिया मैंने,
कागज़ पर लिखा इश्क़ और उसे जला दिया।
औरों के पास जा के मेरी दास्तान न पूछ,
कुछ तो मेरे चेहरे पे लिखा हुआ भी देख।
प्यास दिल की बुझाने वो कभी आया भी नहीं,
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं,
बेरुख़ी इस से बड़ी और भला क्या होगी,
एक मुद्दत से हमें उसने सताया भी नहीं।
अब भी इल्जाम-ए-मोहब्बत है हमारे सिर पर,
अब तो बनती भी नहीं यार हमारी उसकी।
मुद्दत से थी किसी से मिलने की आरज़ू,
ख्वाहिश-ए-दीदार में सब कुछ गँवा दिया,
किसी ने दी खबर कि वो आयेंगे रात को,
इतना किया उजाला कि घर तक जला दिया।
अब सोचते हैं लाएँगे तुझ सा कहाँ से हम,
उठने को उठ तो आए तेरे आस्ताँ से हम।
न जाने क्यूँ वक़्त इस तरह गुजर जाता है,
जो वक़्त था वो पलट कर सामने आता है,
और जिस वक़्त को हम दिल से पाना चाहते हैं,
वो तो बस एक लम्हा बनकर बीत जाता है।
राह-ए-वफ़ा में किसका किसने दिया है साथ,
तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले।
ऐसा नहीं कि शख्स अच्छा नहीं था वो,
जैसा मेरे ख्याल में था बस वैसा नहीं था वो।
तुमने सोच लिया मिल जायेंगे बहुत चाहने वाले,
ये भी सोच लेते कि फर्क होता है चाहतों में भी।
जरा सा झाँक कर तो देखिये वीरान आँखों में,
सभी एहसास आँखों की नमी से तय नहीं होते।
मुद्दत से कोई शख्स रुलाने नहीं आया,
जलती हुई आँखों को बुझाने नहीं आया,
जो कहता था कि रहेंगे उम्र भर साथ तेरे,
अब रूठे हैं तो कोई मनाने नहीं आया।
मेरे लफ्जों से निकल जायें अशआर,
कोई ख्वाहिश जो तेरे बाद करूं।
बहुत लहरों को पकड़ा डूबने वाले के हाथों ने,
यही बस एक दरिया का नजारा याद रहता है,
मैं किस तेजी से ज़िंदा हूँ मैं ये भूल जाता हूँ,
नहीं आना इस दुनिया में दोबारा याद रहता है।
ये इश्क़ जिसके कहर से डरता है ज़माना,
कमबख्त मेरे सब्र के टुकड़ों पे पला है।
न किसी के दिल की हूँ आरजू,
न किसी नजर की हूँ जुस्तजू,
मैं वो फूल हूँ जो उदास है,
न बहार आए तो क्या करूँ।
रूठा अगर तुझसे तो इस अंदाज से रूठूंगा,
तेरे शहर की मिट्टी भी मेरे वजूद को तरसेगी।