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2 lines gulzar shayari

What are the saddest shayaris in Hindi by Gulzar?
Even if prominent artists create it, some works of art are more famous than the others. It also happens in Gulzar’s works. Besides his phenomenal love shayari, the 2 lines gulzar shayari is also well-known by the worlds, and even more famous in Indian society.
relationship 2 lines gulzar shayari is heart-piercing, thought slicing—making you cry with ease.
However, what stands the most among all of them is narazgi 2 lines gulzar shayari. Perhaps for the ones who don’t understand Yaadein, it means memory.
As Gulzar has several fond memories about his life, he also underwent great hardships; even some of them thrust him deeply. The profound memories create great poetries; that’s what usually happens.
No wonder that his works about memory are so famous.
बहुत अंदर तक जला देती हैं, वो शिकायते जो बया नहीं होती।”
आप के बाद हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है।”
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में, रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।”
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है। “
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा, क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा। “
आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है कोई। “
मुस्कुरा दो की ज़िंदगी रोने के लिए बहुत छोटी है।”
बिगड़ैल हैं ये यादे, देर रात को टहलने निकलती हैं
मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं, हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं। “
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत, मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।”
आप के बाद हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है।”
मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो? नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।”
बहुत अंदर तक जला देती हैं, वो शिकायते जो बया नहीं होती।”
रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर, उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश। “
हम तो अब याद भी नहीं करते, आप को हिचकी लग गई कैसे? “
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं, और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता। “
relationship 2 lines gulzar shayari

उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और, ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे। “
मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं, हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं। “
बिगड़ैल हैं ये यादे, देर रात को टहलने निकलती हैं
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत, मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
बहुत अंदर तक जला देती हैं, वो शिकायते जो बया नहीं होती।”
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में, रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।”
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है। “
मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो? नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।”
आप के बाद हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है।”
वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं
कभी तो चौक के देखे वो हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी वो इंतजार दिखे
कैसे करें हम ख़ुद को
तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं,
तो तुम शर्ते बदल देते हो
किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं
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तन्हाई की दीवारों पर
घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे,
कोई किसी को भूल रहा हैं
शोर की तो उम्र होती हैं
ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं
वक्त रहता नहीं कही भी टिक कर,
आदत इसकी भी इंसान जैसी हैं
हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते
दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा,
इसका शायद कोई हल नहीं हैं
देखो, आहिस्ता चलो, और भी आहिस्ता ज़रा
देखना, सोच-सँभल कर ज़रा पाँव रखना,
ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं.
काँच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में,
ख़्वाब टूटे न कोई, जाग न जाये देखो,
जाग जायेगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा
शब्द नए चुनकर कविता हर बार लिखू
उन दो आँखों में अपना सारा प्यार लिखू
वो में विरह की वेदना लिखू या मिलन की झंकार लिखू
कैसे इन चंद लफ्जो में दोस्तों अपना सारा प्यार लिखू
ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं
ना पास रहने से जुड़ जाते हैं
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं
एक सो सोलह चाँद की रातें
एक तुम्हारे कंधे का तिल
गीली मेहँदी की खुश्बू
झूठ मूठ के वादे
सब याद करादो, सब भिजवा दो
मेरा वो सामान लौटा दो
कुछ अलग करना हो तो
भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं
मगर पहचान छिन लेती हैं
अच्छी किताबें और अच्छे लोग
तुरंत समझ में नहीं आते हैं,
उन्हें पढना पड़ता हैं
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सुनो…
जब कभी देख लुं तुमको
तो मुझे महसूस होता है कि
दुनिया खूबसूरत है
मैं दिया हूँ
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं
मैं दिया हूँ
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं
मैं दिया हूँ
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं
मैंने मौत को देखा तो नहीं
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी
कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं
जीना ही छोड़ देता हैं
उन्हें ये जिद थी कि हम बुलाये
हमें ये उम्मीद थी कि वो पुकारे
हैं नाम होंठो पे अब भी लेकिन
आवाज में पड़ गयी दरारे
2 lines gulzar shayari
- बहुत अंदर तक जला देती हैं, वो शिकायते जो बया नहीं होती।”
- आप के बाद हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है।”
- हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में, रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।”
- वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है। “
- ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा, क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा। “
- आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है कोई। “
- मुस्कुरा दो की ज़िंदगी रोने के लिए बहुत छोटी है।”
- बिगड़ैल हैं ये यादे, देर रात को टहलने निकलती हैं
- मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं, हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं। “
- कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत, मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।”
- आप के बाद हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है।”
- मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो? नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।”
- बहुत अंदर तक जला देती हैं, वो शिकायते जो बया नहीं होती।”
- रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर, उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश। “
- हम तो अब याद भी नहीं करते, आप को हिचकी लग गई कैसे? “
- कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं, और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता। “
- relationship 2 lines gulzar shayari | 2 lines gulzar shayari
- उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और, ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे। “
- मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं, हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं। “
- बिगड़ैल हैं ये यादे, देर रात को टहलने निकलती हैं
- कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत, मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
- बहुत अंदर तक जला देती हैं, वो शिकायते जो बया नहीं होती।”
- हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में, रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।”
- वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है। “
- मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो? नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।”
- आप के बाद हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है।”
- वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं - तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं - कभी तो चौक के देखे वो हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी वो इंतजार दिखे - कैसे करें हम ख़ुद को
तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं,
तो तुम शर्ते बदल देते हो - किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं - तन्हाई की दीवारों पर
घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे,
कोई किसी को भूल रहा हैं - शोर की तो उम्र होती हैं
ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं - वक्त रहता नहीं कही भी टिक कर,
आदत इसकी भी इंसान जैसी हैं - हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते - दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा,
इसका शायद कोई हल नहीं हैं - देखो, आहिस्ता चलो, और भी आहिस्ता ज़रा
देखना, सोच-सँभल कर ज़रा पाँव रखना,
ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं.
काँच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में,
ख़्वाब टूटे न कोई, जाग न जाये देखो,
जाग जायेगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा - शब्द नए चुनकर कविता हर बार लिखू
उन दो आँखों में अपना सारा प्यार लिखू
वो में विरह की वेदना लिखू या मिलन की झंकार लिखू
कैसे इन चंद लफ्जो में दोस्तों अपना सारा प्यार लिखू - ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं
ना पास रहने से जुड़ जाते हैं
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं - एक सो सोलह चाँद की रातें
एक तुम्हारे कंधे का तिल
गीली मेहँदी की खुश्बू
झूठ मूठ के वादे
सब याद करादो, सब भिजवा दो
मेरा वो सामान लौटा दो - कुछ अलग करना हो तो
भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं
मगर पहचान छिन लेती हैं - अच्छी किताबें और अच्छे लोग
तुरंत समझ में नहीं आते हैं,
उन्हें पढना पड़ता हैं - सुनो…
जब कभी देख लुं तुमको
तो मुझे महसूस होता है कि
दुनिया खूबसूरत है - मैं दिया हूँ
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं – 2 lines gulzar shayari - मैं दिया हूँ
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं - मैं दिया हूँ
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं - मैंने मौत को देखा तो नहीं
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी
कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं
जीना ही छोड़ देता हैं - उन्हें ये जिद थी कि हम बुलाये
हमें ये उम्मीद थी कि वो पुकारे
हैं नाम होंठो पे अब भी लेकिन
आवाज में पड़ गयी दरारे
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